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भगवान तुम कहाँ हो ?

भगवान तुम कहाँ हो ? अक्सर चीत्कार कर उठता है मेरा मन देखकर उन बजबजाते लोगों की पीड़ा और अगले ही पल मंदिर से आते प्रवचन  मेरी क्रोधाग्नि में उड़ेल देते हैं मनभर घी  हाँ, हाँ भगवान मैं क्रोधित हूँ तुम पर  तुम्हारे अनुयाइयों द्वारा बनाए गए विधान पर जिन्हें तुम्हारे होने का जरा भी खौफ नहीं है  जिनके लिए तुम सदियों से हो सिर्फ एक ढ़ाल  सोमनाथ हो या अयोध्या ... सब गवाह हैं  अकर्मण्य लोगों की पूजनीय भीड़ के केवल  हाथ तक हिलाना नहीं चाहते वे लोग , और  तुम किसी गुलाम की तरह बिचौलियों के साथ हो   साइंस के साथ नई सभ्यता में भी तुम संदिग्ध हो  भले ही मान लिया जाय कि तुम हो , किन्तु  अक्सर तुम नदारद ही मिले हो , जरूरत के समय  तुमने ही दी हैं असंख्य वजहें , तुम्हारे न होने की  सच कहना,  क्या तुम वाकई हो कहीं ? अगर हो तो क्या तुम सच में मालिक हो ? अगर तुम सच में मालिक हो तो क्या विकलांग हो ? तुम्हें ये चीत्कार और असमानता क्यों नहीं दिखती ?  क्यों नहीं दिखते वे लोग , जो तुम्हें धकेल बन गए हैं ईश  जिनके दर्शनों की  लाख...

आरक्षण भीख नहीं , संवैधानिक हक

•~=:|| आरक्षण भीख नहीं, संवैधानिक हक है ||:=~• 'आरक्षण विरोधी', अज्ञानी इतना भी नहीं जानते कि किस आरक्षण की सीमा 10 वर्ष थी। अगर जानते हैं तो गलत प्रचार करते हैं और अपनी अज्ञान और घटिया स...

क्योंकि देश सुरक्षित हाथों में है

बैंक में पैसा जमा करोगे तो डूब जाएगा। सरकार ने कल कह दिया है कि डूब जाएगा तो 5 लाख तक लौटा देंगे। बाकी तुम देख लेना। तुम देख लेना मतलब उसको डुबा लेना। हार्ट अटैक आ जाये तो मर लेना। बचत प्रेमी भारतीय समाज को अब अपने ही बैंकों में पैसा जमा करने पर सुरक्षित रहने की गारंटी नहीं है, डूब जाने की गारंटी ज्यादा है।  एलआईसी लोगों से कह रही थी कि अपनी कमाई हमें दे दो। सुरक्षित रहोगे। जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी। खुद का ही बीमा नहीं था। अब बिक जाएगी।  किसी समाज की सुरक्षा का नीलाम हो जाना सामान्य बात नहीं है। अभी लोगों को आत्मनिर्भर होना नहीं सिखाया गया है। उसके पहले ही उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में झोंक दिया जाएगा। बचत छीन ली गई है, सुरक्षा छीनी जा रही है। बुजुर्गों से उनकी पेंशन छीनी जा रही है। 3.64 करोड़ जवानों के रोजगार छीन लिए गए हैं।  सब लुटा दो। कमाओ और खर्च करो, जीडीपी और कैश फ्लो बढ़ाओ। बिक जाओ तो बिक जाओ। क्यों?  क्योंकि देश सुरक्षित हाथों में है। ऐसी सुरक्षा कहीं देखी है जहां कोई सुरक्षा न हो?